जयपुर के जवाहर कला केंद्र में चल रहे पत्रिका बुक फेयर 2025 में किताबों का दौर फिर से लौटता दिख रहा है। मेले में बच्चे हाथों में किताबें लेकर घूम रहे हैं, जो इस आयोजन की सफलता का संकेत है।
किताबें पढ़ने से होता है विकास
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने कहा कि किताब पढ़ने के लिए शांति, एकांत और रुचि जरूरी है। किताबें पढ़ने से भाषा बेहतर होती है और इंसान का विकास होता है। उन्होंने कहा कि बच्चे भी अगर किताबें पढ़ेंगे तो समाज में बदलाव जरूर दिखेगा।
तकनीक का बढ़ता प्रभाव
कहानीकार पवन झा ने कहा कि तकनीक ने हमारे दिमाग पर कब्जा कर लिया है, जिससे समस्या बढ़ गई है। किताबें पढ़ने से दिमाग खुलता है, जबकि विजुअल मीडिया ऐसा नहीं कर पाता।
साहित्य की गिरती गुणवत्ता
थानवी ने कहा कि आजकल खराब साहित्य भी खूब बिक रहा है, जैसे खराब फिल्में देखी जाती हैं। सोशल मीडिया के दौर में ऐसा बेचना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि शेक्सपियर, निराला, अज्ञेय और महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकारों को पढ़ना चाहिए, जिससे हमारा स्तर ऊंचा हो सके।
तकनीक का सही उपयोग जरूरी
साहित्यकारों ने कहा कि तकनीक का सही उपयोग करके पढ़ाई को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में बुद्धिमत्ता और विवेक पैदा करना हमारा कर्तव्य है।