यह जानकारी मिली कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर को जयपुर जाना था, इसलिए रिपोर्ट का इंतजार किए बिना ही ऑपरेशन किए गए। इस लापरवाही के कारण मरीजों को संक्रमण का खतरा हो सकता है। ऑपरेशन किए गए मरीजों की उम्र 55 से 82 साल के बीच है।
नियम क्या थे?
नेत्र चिकित्सा विभाग के अनुसार, ऑपरेशन से पहले ऑपरेशन थियेटर की रिपोर्ट तीन बार नेगेटिव आनी चाहिए। 14 फरवरी को ओटी को स्टरलाइज किया गया और 15 फरवरी को सैंपल भेजे गए, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही ऑपरेशन कर दिया गया। विभागाध्यक्ष का कहना है कि रिपोर्ट आने में देरी के कारण ऑपरेशन किए गए।
डॉक्टर का बयान
डॉ. एमएल गुप्ता, विभागाध्यक्ष ने कहा कि रिपोर्ट की देरी के कारण ऑपरेशन किए गए। वहीं, डॉ. हेमेंद्र पाराशर ने कहा कि वह जयपुर जाने के लिए पहले से ही सीएल का आवेदन कर चुके थे और मरीजों के भले के लिए ऑपरेशन किए थे।