माकपा का निष्कर्ष
माकपा (CPI(M)) ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है कि पार्टी को भाजपा और तृणमूल कांग्रेस दोनों से राजनीतिक और वैचारिक रूप से मुकाबला करना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि तृणमूल को भाजपा के खिलाफ प्रभावी विकल्प माना जाता है, लेकिन कुछ मतदाता भाजपा के विरोध में तृणमूल को ही विकल्प मानते हैं। ऐसे में माकपा को दोनों पार्टियों का संतुलित विरोध करना चाहिए।
स्वतंत्र राजनीतिक लाइन पर जोर
माकपा ने पार्टी कांग्रेस के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसमें पार्टी को भविष्य में स्वतंत्र राजनीतिक लाइन पर जोर देने की बात की गई है। इसका मतलब है कि पार्टी चुनावी समझौतों या गठबंधनों पर ज्यादा निर्भर नहीं रहेगी और अपनी स्वतंत्र पहचान को बनाए रखेगी।
पार्टी को पुनर्निर्माण और विस्तार की जरूरत
माकपा के प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी को पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में पुनर्निर्माण और विस्तार की जरूरत है। विशेष रूप से बंगाल में ग्रामीण गरीबों के बीच काम करने और उन्हें संगठित करने पर ध्यान देना चाहिए।
ध्रुवीकरण की राजनीति का ट्रेंड
पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण की राजनीति 2019 के लोकसभा चुनाव में सामने आई जब भाजपा ने 18 सीटें जीतकर तृणमूल के सामने मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाई। 2021 के विधानसभा चुनाव में यह ध्रुवीकरण तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में चला और पार्टी ने शानदार जीत हासिल की। 2024 में भी यह ट्रेंड जारी रहा और तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा हुआ।
माकपा का प्रभाव नहीं बढ़ा
माकपा ने अपने मसौदा प्रस्ताव में कहा कि चुनावी परिणामों से यह साफ है कि पार्टी का प्रभाव नहीं बढ़ा है। पार्टी ने कहा कि उसे भाजपा और तृणमूल दोनों का विरोध करना जारी रखना होगा और भाजपा के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।