संघ का उद्देश्य: हिंदू समाज को एकजुट करना
मोहन भागवत ने कहा कि संघ का उद्देश्य केवल हिंदू समाज को एकजुट करना है। उन्होंने कहा कि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है, जो मानता है कि विविधता में ही एकता है। भागवत ने यह भी बताया कि भारत केवल भूगोल नहीं, बल्कि एक प्रकृति है, जिसकी आत्मा हिंदू समाज में बसती है। उन्होंने कहा कि भारत का मूल तत्व हिंदू समाज है, जो विविधता को स्वीकार करके समृद्ध होता है।
रामायण से सेवा भाव का संदेश
भागवत ने रामायण के उदाहरण से सेवा और त्याग का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि भारत में सम्राटों और महापुरुषों को याद नहीं किया जाता, बल्कि भगवान राम और भरत जैसे व्यक्तित्वों को याद किया जाता है जिन्होंने अपने कर्तव्यों को निभाया। यह गुण भारत की पहचान हैं।
अंग्रेजों की नीति का खुलासा
भागवत ने कहा कि भारतीय समाज में अंग्रेजों ने फूट डालने का काम किया। उन्होंने यह धारणा बनाई कि भारत एकजुट नहीं था, लेकिन यह सच नहीं है। भारतीय समाज हमेशा से एकजुट था।
संघ में शामिल होने के लिए कोई शुल्क नहीं
भागवत ने यह भी कहा कि संघ का उद्देश्य समाज को एकजुट करना है और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। संघ में शामिल होने के लिए कोई औपचारिक सदस्यता नहीं है, और कोई भी जब चाहे बाहर जा सकता है।