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जन-जन के संत थे आचार्य विद्यासागर: त्याग, तपस्या और ज्ञान के प्रतीक

सागर: दिगंबर जैन परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज देश के ऐसे महान संत थे, जिन्होंने 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक और क्षुल्लक दीक्षा दी। मंगलवार को उनका पहला स्मृति दिवस मनाया गया।

संत समाज के ‘हिमालय’ थे विद्यासागर महाराज
जैन संतों ने बताया कि आचार्य विद्यासागर सिर्फ जैन समाज के नहीं, बल्कि पूरे समाज के संत थे। उनका जीवन त्याग, तपस्या और ज्ञान का भंडार था। उन्होंने राष्ट्र प्रेम, हिंदी भाषा का उत्थान, जीव दया और हथकरघा उद्योग के माध्यम से समाज को नई दिशा दी।

गुरुदेव का सानिध्य कभी नहीं भूल सकता – मुनि विसौम्य सागर
2016 में कुंडलपुर में आचार्य विद्यासागर महाराज के साथ बिताए पल कभी नहीं भूल पाएंगे। उनकी ममता और आशीर्वाद आज भी मेरे साथ है। वे पूरे विश्व की धरोहर थे।

हमेशा उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे – मुनि विनिशोध सागर
आचार्य विद्यासागर ने अपने तप, संयम और परोपकारी कार्यों से लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनका अनुशासन और प्राणियों के प्रति प्रेम अद्वितीय था। उनकी अनुपस्थिति से समाज को जो क्षति हुई है, उसे भरा नहीं जा सकता। हम सभी उनके दिखाए मार्ग पर चलकर उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

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