संतों का समागम और आध्यात्मिक माहौल
राजिम के त्रिवेणी तट पर संतों का समागम 21 फरवरी से शुरू होगा। साधु-संत धीरे-धीरे यहां पहुंच रहे हैं। पिंडारी और अन्य आश्रमों में साधना कर रहे संतों के साथ, लगभग 65 संत पहले ही राजिम पहुंच चुके हैं। महाशिवरात्रि तक यह संख्या और बढ़ने की संभावना है। यहां के वातावरण में मंत्रों की गूंज और शंखध्वनि से आध्यात्मिक माहौल बन चुका है।
धर्म ध्वजा का रोहण
लोमेश ऋषि आश्रम में नागा साधुओं ने विधिपूर्वक धर्मध्वजा का रोहण किया। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे। धर्म ध्वजा कुंभ मेला की आध्यात्मिक शक्ति और अखाड़े की परंपरा का प्रतीक मानी जाती है। प्रमुख संतों ने इस समारोह में वेद मंत्रों का उच्चारण किया और भक्तों के जयघोष के बीच ध्वजा को स्थापित किया।
महिला श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था
इस बार महिला श्रद्धालुओं के लिए अस्थाई चेंजिंग रूम बनाए गए हैं। इसके अलावा, कुंडों में जल स्वच्छता का ध्यान रखते हुए ताजे पानी की आपूर्ति की जा रही है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, और एनडीआरएफ की टीम पूरे आयोजन पर नजर रखेगी। महाशिवरात्रि के दिन त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख से अधिक होने की संभावना है।
रोशनी से सजा राजिम और सांस्कृतिक कार्यक्रम
राजिम मेला स्थल और आसपास की सड़कों को हजारों बल्बों से सजाया गया है। रायपुर और गरियाबंद जिले को जोड़ने वाला पुल तिरंगे की थीम पर सजाया गया है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है। मेले में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिनमें संगीत, नृत्य और लोकगीत प्रस्तुत किए जाएंगे।
राजिम मेला इस बार न केवल धार्मिक महत्व से, बल्कि देशभक्ति की भावना से भी भरा हुआ है।