इस समय अफीम की फसल पर फूल खिलने के साथ डोडे भी बनने लगे हैं। मौसम अनुकूल रहा तो 25 फरवरी तक लुगाई चिराई की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस प्रक्रिया के लिए किसानों ने अफीम की सुरक्षा के लिए खेतों की मेड़ पर झोपड़ियां बनाकर डेरे भी डाल दिए हैं।
किसान अब अपनी फसल की सुरक्षा में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, मवेशियों और पक्षियों से बचाव के लिए तारबंदी और लोहे की जालियां भी लगा दी गई हैं। अफीम की फसल को काली देवी का रूप मानते हुए किसान इसे ‘काले सोने’ के रूप में पूजा करते हैं और इसके महत्व को समझते हुए सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।