टीबी मरीजों की पहचान और उपचार में सफलता
अभियान के तहत प्रदेश के 75 जिलों में काम किया गया। अब तक 74% उच्च जोखिम वाले लोगों को कवर किया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, लक्षणविहीन लोगों को टीबी से बचाने के लिए टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) के तहत दवा दी जा रही है और 73,231 मरीजों का इलाज शुरू किया जा चुका है।
निक्षय शिविर और जागरूकता अभियान
अभियान के दौरान 4,80,763 निक्षय शिविर लगाए गए, जहां रोज़ाना संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग, एक्स-रे और माइक्रोस्कोपिक जांच की गई। इसके साथ ही टीबी की रोकथाम के उपाय भी किए गए।
टीबी के मामलों में फर्क
अभियान में लखनऊ सबसे ऊपर रहा, जहां 4050 टीबी मरीज मिले, जबकि श्रावस्ती में सबसे कम 247 मामले दर्ज किए गए।
उच्च जोखिम वाले लोगों पर ध्यान
अभियान के दौरान विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले समूहों पर ध्यान दिया गया, जैसे कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, डायबिटीज और एचआईवी संक्रमित लोग, कुपोषित लोग, और धूम्रपान एवं शराब सेवन करने वाले लोग।
योगी सरकार का संकल्प
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को 2024 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकार का मानना है कि समय पर टीबी की पहचान और उपचार से इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
मुख्य उपलब्धियां:
- 89,967 मरीजों की पहचान
- 2.45 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग
- 12.65 लाख लोगों को टीबी से बचाव की दवा
- 4809 निक्षय शिविरों का आयोजन
- 73,231 मरीजों का इलाज शुरू
टीबी के लक्षणों पर तुरंत जांच कराएं और इलाज करवाएं। सरकार की यह पहल उत्तर प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।