2002 में खोला गया यह प्राथमिक विद्यालय पिछले चार सालों से जर्जर हालत में था। स्कूल की छत का प्लास्टर गिरने लगा और स्कूल भवन की मरम्मत नहीं की गई। अंततः शिक्षा विभाग ने स्कूल बंद कर दिया और बच्चों को तीरथ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भेजने का आदेश दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल भवन की मरम्मत करने की जरूरत थी ताकि बच्चों को छोटे गांव में ही शिक्षा मिल सके। 2 किलोमीटर दूर तीरथ स्कूल जाने के रास्ते में रेलवे ट्रैक और नहर से गुजरना पड़ता है, जो बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। कभी-कभी ट्रेन बीच में रुक जाती है और बच्चे जान जोखिम में डालकर नहर पार करते हैं।
स्कूल प्रशासन ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों को तीरथ स्कूल भेजने का फैसला लिया गया है क्योंकि जर्जर भवन में हादसा हो सकता था। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वे स्कूल की मरम्मत कराएं और बच्चों को गांव में ही पढ़ाई का अवसर दें।