अक्षय तृतीया के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ बहुत ज्यादा होती है। मंदिर में सुबह से रात तक आरती और संकीर्तन होता है। यहां का लक्ष्य प्राचीन मंदिर से जोरासिंह गेट तक लक्ष्मी मेला होता है, जो आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
भगवान को दाल, ककड़ी और मिश्री का भोग लगाया जाता है, और इस दिन मंदिर में विशेष पूजा और कार्यक्रम होते हैं। गुरुवार रात्रि को जागरण और संकीर्तन भी होता है।
इस अवसर पर शुक्रवार को बद्रीनाथ मंदिर में लक्ष्मी मेला भरता है। सुबह 5:30 बजे फूल-बंगले की झांकी सजती है, और दिनभर मंदिर में अनेक झांकियां सजती हैं।
यहां जयपुर में बद्रीनाथ के मंदिर का स्थान होने से भक्तों को उत्तराखंड जाने की जरूरत नहीं पड़ती, और वे यहां दर्शन का आनंद ले सकते हैं।