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कृषि और पर्यटन: समावेशी विकास की नई राह

सरकार ने एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएँ शुरू की हैं। इसके तहत क्लस्टर आधारित कृषि विकास को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का सही मूल्य मिल सके और वे सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचा सकें। इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी और किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।

कृषि और पर्यटन का जुड़ाव

भारत में कृषि और पर्यटन दो महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जो अब एक साथ मिलकर ग्रामीण विकास में योगदान दे रहे हैं। इस पहल से गाँवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पर्यटक भारत की कृषि परंपरा, जैव विविधता और ग्रामीण जीवनशैली को करीब से जान सकेंगे।

‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ का विस्तार

सरकार ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ को बढ़ाने का फैसला किया है, जिससे सीमावर्ती और दूर-दराज के गाँवों को पर्यटन के लिए विकसित किया जाएगा। इससे स्थानीय कृषि उत्पादों को बड़ा बाजार मिलेगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

क्लस्टर आधारित कृषि विकास

एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जैविक और पारंपरिक कृषि उत्पादों को विशेष वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह योजना किसानों को उनके उत्पादों को खुद बेचने के लिए प्रेरित करेगी और भारतीय अनाजों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में मदद करेगी।

प्राकृतिक खेती और ग्रीन ग्रोथ

सरकार ‘ग्रीन ग्रोथ’ को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। इससे खेती पर्यावरण के अनुकूल बनेगी और किसान जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित होंगे। इससे पर्यटक भी भारतीय कृषि की पारंपरिक विधियों से परिचित हो सकेंगे।

फार्म-स्टे और एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा

कई राज्यों में फार्म-स्टे और ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जा रहा है। इससे पर्यटक गाँवों में रहकर खेती का अनुभव ले सकते हैं और किसानों से सीधा संवाद कर सकते हैं।

ग्रामीण पर्यटन और डिजिटल विकास

सरकार ग्रामीण पर्यटन को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम कर रही है। इसमें सड़क, रेल और डिजिटल कनेक्टिविटी शामिल हैं। ‘डिजिटल ग्राम’ और ‘स्मार्ट विलेज’ योजनाओं के तहत ई-मार्केटिंग, कैशलेस भुगतान और ऑनलाइन बुकिंग जैसी सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं।

‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) योजना

सरकार ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना को मजबूत कर रही है, जिससे हर जिले के खास कृषि उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचाया जा सके। इसके लिए कृषि मेलों और खाद्य उत्सवों का आयोजन किया जाएगा, जिससे पर्यटकों को स्थानीय खाद्य संस्कृति का अनुभव मिलेगा।

फसल विविधीकरण और एग्रो-टूरिज्म

सरकार पारंपरिक और आधुनिक खेती तकनीकों को मिलाकर फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है।

  • बागवानी, फूलों की खेती, औषधीय पौधों और मसालों की खेती को बढ़ाया जाएगा।
  • देश में ‘फार्म टूरिज्म सर्किट’ विकसित किए जाएँगे, जहाँ पर्यटक खेती की प्रक्रिया को समझ सकें और स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकें।

सहकारी समितियों को मिलेगा समर्थन

ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता दी जाएगी, जिससे वे पर्यटकों के लिए कृषि-आधारित होमस्टे और पर्यटन सुविधाओं का विकास कर सकें। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा।

हेरिटेज टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

सरकार हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है, जिससे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों वाले गाँवों को विकसित किया जाएगा। उदाहरण के लिए, पारंपरिक चावल और गेहूँ की किस्मों को संरक्षित करने वाले गाँवों को ‘एग्रो-टूरिज्म केंद्र’ के रूप में विकसित किया जाएगा।

स्टार्टअप्स और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा

  • सरकार कृषि-पर्यटन स्टार्टअप्स को विशेष वित्तीय सहायता और कर प्रोत्साहन दे रही है।
  • कई युवा उद्यमी फार्म-स्टे, जैविक खेती और ग्रामीण पर्यटन को आधुनिक तकनीकों से जोड़कर नए अवसर तलाश रहे हैं।

निष्कर्ष

कृषि और पर्यटन के इस नई पहल से ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और पर्यटकों को भारतीय कृषि की समृद्ध परंपरा को समझने का अवसर मिलेगा। हाल ही में घोषित बजट योजनाएँ ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएंगी और समावेशी विकास को बढ़ावा देंगी।

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