क्यों चुनी गईं रेखा गुप्ता?
रेखा गुप्ता को तीन महत्वपूर्ण वजहों से यह बड़ी जिम्मेदारी मिली:
- कास्ट (जाति) – वे वैश्य समुदाय से हैं, जो बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है।
- क्लास (वर्ग) – एक महिला नेता होने के कारण उन्हें प्राथमिकता दी गई।
- क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) – वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन एबीवीपी की पृष्ठभूमि से आती हैं, जिससे संगठन का भी समर्थन मिला।
बीजेपी ने इस फैसले के जरिए दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने और वैश्य समुदाय को साधने की रणनीति अपनाई है।
मोदी का महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने का मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से महिलाओं को राजनीति और प्रशासन में आगे लाने पर जोर दे रहे हैं। 2014 से उनकी सरकार ने कई योजनाओं के जरिए महिलाओं को सशक्त किया है। हाल ही में महिला आरक्षण बिल पास करवाकर उन्होंने महिला नेतृत्व को बढ़ावा दिया था। अब दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाकर उन्होंने “आधी आबादी” यानी महिलाओं को एक बड़ा संदेश दिया है।
कौन हैं रेखा गुप्ता?
- मूल रूप से हरियाणा के जींद की रहने वाली हैं।
- दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान एबीवीपी से जुड़ीं।
- 1995-96 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में अध्यक्ष बनीं।
- 2004-06 में बीजेपी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव रहीं।
- 2007 में पहली बार पीतमपुरा से पार्षद चुनी गईं।
- 2010 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बनीं।
- 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताया।
- 2025 में शालीमार बाग सीट से 29,595 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
- पहली बार विधायक बनीं और सीधे मुख्यमंत्री पद तक पहुंच गईं।
निष्कर्ष
बीजेपी ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव करते हुए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया है। उनके संगठन से जुड़े होने, महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने और वैश्य समुदाय से आने की वजह से पार्टी ने उन पर भरोसा जताया। अब देखना होगा कि वे दिल्ली की जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती हैं।