mRNA वैक्सीन ने दिखाए अच्छे नतीजे
मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के वैज्ञानिकों ने पैंक्रियाटिक कैंसर के इलाज पर शोध किया। फेज-1 क्लिनिकल ट्रायल में आधे मरीजों में mRNA वैक्सीन ने सकारात्मक प्रभाव दिखाया। इन मरीजों में टी-सेल्स सक्रिय हुए, जो कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर सकते हैं। इससे इनकी जीवन प्रत्याशा (lifespan) आठ साल तक बढ़ने की संभावना जताई गई है।
पैंक्रियाटिक कैंसर: एक खतरनाक बीमारी
✅ शुरुआती लक्षण नहीं दिखते, जिससे इसका देर से पता चलता है।
✅ 95% मामलों में कैंसर बढ़ चुका होता है जब इसका निदान होता है।
✅ इस कैंसर से सिर्फ 13% मरीज ही पांच साल से ज्यादा जीवित रहते हैं।
mRNA टेक्नोलॉजी से कैंसर का इलाज कैसे होता है?
mRNA वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रणाली को ट्रेनिंग देती है ताकि वह ट्यूमर कोशिकाओं को पहचानकर उन्हें नष्ट कर सके। यह तकनीक सिर्फ पैंक्रियाटिक कैंसर ही नहीं, बल्कि मेलानोमा, कोलोरेक्टल कैंसर और अन्य ट्यूमर के इलाज के लिए भी परीक्षण में है।
✅ mRNA वैक्सीन शरीर में टी-सेल्स बनाती है, जो कैंसर कोशिकाओं से लड़ती हैं।
✅ कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने की यह प्रक्रिया वायरस से लड़ने की प्रक्रिया से ज्यादा जटिल होती है।
क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे
🔹 इस शोध में 16 पैंक्रियाटिक कैंसर मरीजों को शामिल किया गया, जिनके ट्यूमर सर्जरी से हटाए जा सकते थे।
🔹 सभी मरीजों को सर्जरी, कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी दी गई।
🔹 आधे मरीजों में वैक्सीन ने सकारात्मक असर दिखाया और उनकी टी-सेल्स ने कैंसर कोशिकाओं को टारगेट किया।
🔹 वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन मरीजों की टी-सेल्स औसतन 8 साल तक कैंसर से लड़ सकती हैं।
भविष्य में कैंसर के इलाज की नई उम्मीद
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि mRNA वैक्सीन भविष्य में पैंक्रियाटिक कैंसर के लिए कारगर इलाज बन सकती है। हालांकि, अभी यह शोध शुरुआती चरण में है और इसे बड़े पैमाने पर टेस्ट करने की जरूरत है। फिर भी, यह तकनीक कैंसर के खिलाफ जंग में एक नई किरण लेकर आई है।
⚠ WHO की चेतावनी: शराब पीने से कैंसर का खतरा बढ़ता है, इसलिए सावधानी बरतें!