नए नियमों के फायदे
- हर बार एक ही प्रोफेसर इंटरनल नहीं बनेगा, जिससे परीक्षा में निष्पक्षता बनी रहेगी।
- छात्रों को जानबूझकर फेल या पास करने के आरोप कम होंगे।
- हर प्रोफेसर को इंटरनल बनने का मौका मिलेगा, जिससे किसी एक की मोनोपोली खत्म होगी।
- एक दिन में 8 से ज्यादा छात्रों का प्रैक्टिकल हो सकेगा, जिससे परीक्षा जल्दी पूरी होगी।
पहले क्या था नियम?
पहले मेडिकल कॉलेजों में एचओडी ही इंटरनल की भूमिका निभाते थे। जहां प्रोफेसर नहीं होते, वहां दूसरे कॉलेज से फैकल्टी बुलाकर इंटरनल बनाया जाता था।
उदाहरण के लिए, नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर में सभी विभागों में प्रोफेसर मौजूद हैं। पहले हर साल वही इंटरनल बनते थे, लेकिन अब नए नियम के तहत अधिकतम तीन साल तक ही इंटरनल रह सकते हैं।
2023 में क्या हुआ था विवाद?
- मेडिसिन विभाग में एक छात्रा को जानबूझकर फेल करने का आरोप लगा था।
- पीडियाट्रिक विभाग की परीक्षा हेल्थ साइंस विवि ने रद्द कर दी थी।
- बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद इंटरनल बदले गए और परीक्षा फिर से हुई।
एक दिन में 8 से ज्यादा छात्रों का प्रैक्टिकल होगा
पहले यह नियम नहीं था, लेकिन अब नए नियम के अनुसार एक दिन में 8 से ज्यादा छात्रों का प्रैक्टिकल कराया जा सकता है।
- दिसंबर 2023 से पहले, पीडियाट्रिक विभाग ने एक दिन में 11 छात्रों का प्रैक्टिकल कराया था।
- इस पर छात्रों ने मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम से शिकायत की थी।
- बाद में विवि ने परीक्षा रद्द कर दी और हाईकोर्ट ने विवि के फैसले को सही ठहराया।
क्या बोले विशेषज्ञ?
डॉ. देवेंद्र नायक, चेयरमैन, बालाजी मेडिकल कॉलेज का कहना है कि तीन साल तक इंटरनल रखने और एक दिन में 8 से ज्यादा छात्रों का प्रैक्टिकल कराने का नियम छात्रों के हित में है।
- हर प्रोफेसर को इंटरनल बनने का मौका मिलेगा।
- परीक्षा का रिजल्ट जल्दी आएगा।
- किसी एक फैकल्टी की मोनोपोली खत्म होगी।
निष्कर्ष
एनएमसी के नए नियमों से मेडिकल परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों को निष्पक्ष माहौल मिलेगा। इससे न सिर्फ परीक्षा प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि मनमानी भी रोकी जा सकेगी।