कोर्ट का निर्णय
हाईकोर्ट में जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए विभाग के आदेश को रद्द कर दिया। यह निर्णय याचिकाकर्ताओं के द्वारा किए गए याचना पत्रों के आधार पर सुनाया गया।
आदेश के पीछे की कहानी
आबकारी विभाग ने 13 मार्च को शराब की दुकानों के लाइसेंस को तीन माह के लिए रिन्यू कर दिया था, जिसे विभाग के कई दुकानदारों ने कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दिया था, लेकिन अब उसे रद्द कर दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि विभाग बिना लाइसेंसी दुकानदारों की सहमति के बिना ऐसे आदेश नहीं जारी कर सकता। उन्होंने विभाग को इस प्रकार के आदेश जारी करने की आलोचना की, जो नियमानुसार नहीं थीं।
सरकार की दिशा
सरकार ने हाईकोर्ट में यह विवादित मुद्दा समझाते हुए कहा कि लाइसेंसी दुकानदारों की सुरक्षा के लिए यह आदेश जारी किए गए थे। विभाग के निर्देशों को मानने के लिए लाइसेंसी दुकानदारों को बाध्य किया गया था।
निष्कर्ष
अब हाईकोर्ट के निर्णय के बाद, विभाग को लाइसेंसी दुकानदारों की सिक्योरिटी राशि को 4 सप्ताह के भीतर लौटाने का आदेश है।