विशेषताएं जो इसे अनोखा बनाती हैं
- यह मंदिर दुग्धभागा नदी के किनारे स्थित है और धार्मिक व वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- यहां मां अन्नपूर्णा, नव दुर्गा, लक्ष्मी, गणेश, शिव, हनुमान सहित सैकड़ों देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं।
- मंदिर में नकद दान नहीं लिया जाता, बल्कि भक्तों को मिश्री और पौधों का प्रसाद दिया जाता है।
- मंदिर की दीवारों पर हजारों तैलीय चित्र हैं, जिनमें देवी-देवताओं, ऋषियों, महात्माओं और शक्ति पीठों को दर्शाया गया है।
- मंदिर की स्थापना बाबा रामेश्वरदास महाराज ने की थी और 1976 में इसके संचालन के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया था।
विशाल प्रतिमाएं और भव्य निर्माण
- 41 फीट ऊंची बजरंग बली की प्रतिमा मंदिर के मुख्य द्वार के सामने स्थापित है।
- शिव मंदिर में 10 फीट का विशाल शिवलिंग है, जो इस क्षेत्र में सबसे बड़ा माना जाता है।
- 21 फीट ऊंची हाथी और नंदी की प्रतिमाएं भी मंदिर परिसर में स्थित हैं।
विशेष आयोजन और श्रद्धालुओं की आस्था
- हर साल रामनवमी पर यहां भव्य मेला लगता है और मार्गशीर्ष बदी अष्टमी को बाबा रामेश्वरदास की पुण्यतिथि मनाई जाती है।
- पूरे साल यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।
गीता के 18 अध्याय, जो उल्टे लिखे गए हैं
- मंदिर के गीता भवन में श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय शीशे पर उल्टे शब्दों में उकेरे गए हैं।
- यह अनूठी कला बाहर से सीधे पढ़ी जा सकती है।
- इसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।
रामेश्वरदास धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और कलात्मक दृष्टि से भी अद्वितीय स्थल है।