क्या है मामला?
- शफीक अंसारी राजगढ़ जिले के सारंगपुर नगर निकाय के पूर्व पार्षद थे।
- मार्च 2021 में उन पर बलात्कार का आरोप लगाया गया।
- प्रशासन ने 10 दिन के अंदर उनके घर को अवैध बताकर गिरा दिया।
- शफीक का दावा: उनके पास घर के सभी वैध दस्तावेज थे, लेकिन उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया।
कोर्ट का फैसला
- राजगढ़ सेशन कोर्ट ने जांच में पाया कि महिला की गवाही में कई विरोधाभास थे।
- महिला ने घटना के 15 दिन बाद तक किसी को कुछ नहीं बताया।
- मेडिकल जांच और वैज्ञानिक साक्ष्य भी आरोप साबित नहीं कर सके।
- अदालत ने शफीक अंसारी को बरी कर दिया।
शफीक अंसारी का दर्द
- “मैं तीन महीने जेल में रहा, मेरा परिवार तबाह हो गया।”
- “मेरा घर बिना किसी सुनवाई के तोड़ दिया गया, अब रहने की जगह नहीं है।”
- “मैं प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगा।”
अब क्या होगा?
शफीक अंसारी का कहना है कि वह न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे और कानूनी विकल्प तलाशेंगे।