कारोबार का ब्यापारिक मॉडल:
- कारोबार की स्थापना: मोगड़ा खुर्द गांव में स्थित एक ड्रग्स फैक्ट्री के जरिए ड्रग्स का उत्पादन किया जाता था। यहां का प्लांट 200 करोड़ की ड्रग्स की बनाने की क्षमता रखता था।
- सप्लाई चैन: इस फैक्ट्री से ड्रग्स का सप्लाई बारहवीं कक्षा तक बनाए गए नेटवर्क के माध्यम से कई राज्यों में होता था। यहां से ड्रग्स की सप्लाई महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, और बिहार जैसे प्रदेशों तक की जाती थी।
- आर्डर वॉल्यूम: यह ड्रग्स फैक्ट्री कम मात्रा में ड्रग्स के आर्डर नहीं लेती थी। उसका आर्डर बारहवीं कक्षा और उससे ऊपर के बड़े ड्रग्स पैडलर्स से ही लिया जाता था। एक बार का आर्डर कम से कम 40 करोड़ रुपए का होता था।
मुंबई पुलिस की कार्रवाई:
- गिरफ्तारी: मुंबई पुलिस ने एक पुणे स्थित ड्रग्स पैडलर के जरिए जोधपुर में ड्रग्स फैक्ट्री का पता लगाया। संगठन के अधिकांश सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।
- जांच: मुंबई पुलिस ने ड्रग्स के उत्पादन और सप्लाई के लिए जोधपुर और उसके आस-पास के इलाकों में व्याप्त नेटवर्क की जांच शुरू की है।
निष्कासित ड्रग्स की मार्केट वैल्यू:
- कीमत: बरामद की गई ड्रग्स की मार्केट वैल्यू करीब 200 करोड़ रुपए हो सकती है।
- अबतक की उपासना: पुलिस के मुताबिक इस कारोबार में कई राज्यों के प्रमुख ड्रग्स नेटवर्क शामिल हैं, जिन्हें बरामद किया जा रहा है।
सुरक्षा के आवश्यकता:
- जागरूकता: ऐसे बड़े ड्रग्स नेटवर्क का पर्दाफाश सुरक्षा एवं अन्य संघर्ष संस्थाओं की जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण है।
- सहयोग: लोगों को पुलिस अथॉरिटीज़ के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि ऐसे अवैध कारोबार को रोका जा सके।
राजस्थान में ड्रग्स का यह कारोबार सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए एक अच्छे रूप से प्रबंधित और नियंत्रित संदर्भ में महत्वपूर्ण है।