प्रशासन की लापरवाही से बढ़ रहा अवैध खनन
राज्य सरकार भले ही अवैध खनन रोकने के दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
- रेत माफिया बेखौफ होकर नदियों से रेत निकाल रहे हैं।
- इससे सरकार को रोज करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
- पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंच रही है।
राजनीतिक संरक्षण का आरोप
माफिया इतने बेखौफ होकर काम कर रहे हैं कि यह स्पष्ट संकेत देता है कि उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। स्थानीय नेता और अधिकारी भी इसमें शामिल हो सकते हैं। इससे सरकार के राजस्व का नुकसान हो रहा है और पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है।
खनिज विभाग के गोलमोल जवाब
जब खनिज विभाग के अधिकारियों से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने टालमटोल जवाब दिया।
- एक अधिकारी ने कहा – “टीम भेजकर दिखवा लेते हैं।”
- अभनपुर एसडीएम बोले – “ठीक है, देखता हूं।”
इन लापरवाह जवाबों से साफ है कि प्रशासन अवैध खनन रोकने में रुचि नहीं दिखा रहा।
ग्रामीणों का गुस्सा फूटा
लगातार हो रहे अवैध खनन से परेशान ग्रामीणों का गुस्सा अब फूट पड़ा है।
- उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने की तैयारी शुरू कर दी है।
- अगर प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे।
सिर्फ दिखावे के लिए होती है छापेमारी
खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन पर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि
- सुबह छापेमारी के बाद रात को फिर से अवैध खनन शुरू हो जाता है।
- ऐसा लगता है कि छापेमारी सिर्फ माफिया को सतर्क करने के लिए होती है, ताकि वे थोड़ी देर के लिए रुक जाएं और फिर नए जोश के साथ काम पर लग जाएं।
अब सवाल उठता है – क्या सरकार और प्रशासन इस अवैध कारोबार पर सख्ती से रोक लगाएगा या यह खेल यूं ही चलता रहेगा?