राज्य सरकार के निर्देश पर बीसलपुर बांध से गाद निकालने और पानी स्टॉरेज की क्षमता को बढ़ाने के लिए ईआरसीपी ने टेंडर किया था। इस टेंडर में एन.जी गढ़िया नाम की कंपनी को कॉन्ट्रेक्ट मिला, लेकिन इसमें बजरी बेचने का भी शामिल था। इसके बाद कंपनी ने बजरी का खनन किया और बांध के पास स्टॉक किया, परंतु एनओसी की कमी के कारण उसे बजरी को बेचने में मुश्किल हो गई।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की बजरी के स्टॉक को बेचने में रोक लगाई, क्योंकि पर्यावरण एनओसी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और डीएसआर रिपोर्ट की कमी थी।