भजनलाल सरकार ने आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत 8वीं तक के छात्रों को मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया था। बाद में सरकार ने 12वीं तक मुफ्त पढ़ाने का भी आश्वासन दिया, लेकिन अब इस वादे से पीछे हटती नजर आ रही है। सरकार ने इस योजना के लिए बजट जारी नहीं किया, जिससे राज्यभर के 30 हजार बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
अभिभावकों की परेशानी
सरकार के भरोसे कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को 9वीं में उसी निजी स्कूल में दाखिला दिला दिया, जहां वे आरटीई के तहत 8वीं तक पढ़े थे। अब सरकार फीस नहीं दे रही, जिससे स्कूल बच्चों को निकाल रहे हैं। कुछ माता-पिता कर्ज लेकर फीस भर रहे हैं, जबकि कुछ को बच्चों की पढ़ाई छुड़वानी पड़ रही है।
बजट न मिलने से बढ़ी दिक्कत
शिक्षा विभाग ने 2022-23 में “इंदिरा शक्ति फीस पुनर्भरण योजना” के तहत आवेदन मांगे थे और 1.5 करोड़ रुपये का बजट दिया था। तब कम आवेदन आए थे, लेकिन 2023-24 में छात्राओं की संख्या बढ़ने से बजट 30 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कांग्रेस सरकार ने इस योजना में छात्रों को भी जोड़ा था। शिक्षा विभाग ने इस बजट का प्रस्ताव भेज दिया है, लेकिन सरकार ने अब तक इसे मंजूर नहीं किया है।
क्या है फीस पुनर्भरण योजना?
यह योजना आरटीई के तहत 8वीं तक मुफ्त पढ़ने वाले छात्रों को 12वीं तक मुफ्त शिक्षा देने के लिए शुरू की गई थी। सरकार इन छात्रों की फीस निजी स्कूलों को चुकाने के लिए अभिभावकों के खाते में पैसा डालती है।
कुछ अभिभावकों की परेशानी के उदाहरण
🔹 केस-1: गोपालपुरा के धैर्य खत्री के बेटे ने 9वीं में प्रवेश लिया, लेकिन सरकार ने उसकी फीस नहीं दी, जिससे उन्होंने अपनी जेब से भुगतान किया।
🔹 केस-2: वैशाली नगर की कुसुम यादव की बेटी ने 8वीं तक आरटीई में पढ़ाई की और सरकार के भरोसे 9वीं में उसी स्कूल में दाखिला लिया। अब तक उन्हें सरकार से फीस की एक भी किस्त नहीं मिली है।
शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष मोदी ने कहा, “हमने बजट का प्रस्ताव भेज दिया है। जैसे ही बजट आएगा, उसे जारी कर दिया जाएगा और कुछ जिलों में पिछले सत्र का भुगतान भी किया जाएगा।”
अब देखना होगा कि सरकार कब इस बजट को जारी करती है और हजारों बच्चों की शिक्षा बचाने के लिए कदम उठाती है।