बच्चों ने बताई शिकायतें
बच्चों ने बताया कि –
- टीचर रोज देर से आते हैं और कभी-कभी दोपहर 2 बजे या 3 बजे तक चले जाते हैं।
- पढ़ाने की बजाय मोबाइल देकर गेम खेलने को कह देते हैं।
- विद्यालय में सिर्फ 30% बच्चे उपस्थित थे, जबकि बाकी नदारद थे।
- जब बीईओ दोपहर 12 बजे स्कूल पहुंचीं, तो विद्यालय प्रभारी अनिल जोशी भी मौजूद नहीं थे।
अभिभावकों की चिंता
बच्चों के माता-पिता, जो मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे हैं, सरकारी स्कूल की इस बदहाल स्थिति से परेशान हैं।
- आनंद वाल्मीकि ने बताया कि उनके बेटे को कभी होमवर्क नहीं दिया जाता, इसलिए मजबूरी में ट्यूशन लगवाना पड़ा।
- चंद्रप्रकाश, जिनके दो बच्चे इसी स्कूल में पढ़ रहे हैं, ने बताया कि एक साल बीतने के बाद भी उनके बच्चों को अपने कोर्स के बारे में कुछ नहीं पता।
अतिथि शिक्षक का अजीब जवाब
जब निरीक्षण टीम के सदस्य सीएसी अतीक खान ने अतिथि शिक्षक से पूछा कि बच्चों को क्यों नहीं पढ़ाया जा रहा?
- शिक्षक ने जवाब दिया – “मैं उच्च स्तर का शिक्षक हूं, प्राइमरी के बच्चों को नहीं पढ़ाऊंगा।”
- उसने यह भी कहा कि उसे सिर्फ व्यवस्था के लिए रखा गया है।
सख्त कार्रवाई के आदेश
बीईओ प्रीति जाटव ने कहा कि लापरवाह शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
- एक-एक महीने की सैलरी रोकने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा में लापरवाही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।