गर्मी में जंगलों में आग का खतरा बढ़ा
गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। मार्च-अप्रैल में महुआ बीनने का काम बड़े पैमाने पर होता है। इस दौरान लोग पेड़ों के नीचे गिरे सूखे पत्तों को जलाकर साफ करते हैं, लेकिन आग को पूरी तरह नहीं बुझाते। यही चिंगारी जंगल में फैलकर बड़े हादसों का कारण बन जाती है।
वन्यजीव और पर्यावरण को नुकसान
🔥 जंगलों में आग लगने से हरे-भरे पेड़ जलकर नष्ट हो रहे हैं।
🐾 वन्यजीवों का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है, वे सुरक्षित स्थानों की ओर भागने को मजबूर होते हैं।
🌳 कई बार पुराने और दुर्लभ पेड़ भी आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं।
वन विभाग सतर्क, निगरानी बढ़ी
✅ सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है।
✅ ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
✅ जंगलों में तैनात कर्मचारियों को सख्त निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
सेटेलाइट से होगी आग पर नजर
🌍 वन विभाग अब आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहा है।
📡 सेटेलाइट इंफ्रारेड सेंसर और थर्मल इमेजिंग से आग का पता लगाया जाएगा।
💻 कंप्यूटर प्रोग्राम से आग की तीव्रता और फैलाव की जानकारी तुरंत वन विभाग तक पहुंचाई जाएगी।
स्थानीय लोगों का सहयोग जरूरी
🌿 वन समितियों और ग्रामीणों को भी आग रोकने में शामिल किया जा रहा है।
🚨 वन विभाग ने अपील की है कि कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत सूचना दें।
🛑 जंगलों में आग न लगाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
🔥 निष्कर्ष: जंगलों में महुआ बीनते समय आग लगाने से बचने की जरूरत है, ताकि पर्यावरण और वन्यजीवों को नुकसान न पहुंचे। सभी को मिलकर जंगलों को सुरक्षित रखना होगा। 🌳