अध्यादेश की समय सीमा खत्म हो रही है
भरतपुर और बीकानेर विकास प्राधिकरण सहित तीन अध्यादेशों की जगह नए विधेयक लाने में देरी हो गई, जिससे अब 12 मार्च को ही इन्हें पारित करना जरूरी हो गया है। संविधान के अनुसार, सरकार को अध्यादेश के स्थान पर छह महीने के अंदर विधेयक लाना होता है। अगर विधानसभा सत्र चल रहा हो, तो यह समय सीमा छह हफ्ते की होती है, जो 12 मार्च को पूरी हो रही है।
नगरीय विकास मंत्री ने पेश किए विधेयक
सोमवार को नगरीय विकास राज्य मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बीकानेर और भरतपुर विकास प्राधिकरण विधेयक के साथ राजस्थान विधियां संशोधन विधेयक पेश किए। इसके अलावा, माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक पहले ही पिछले महीने पेश किया जा चुका है।
इन विभागों की थी जिम्मेदारी
नगरीय विकास विभाग और विधि विभाग को इन विधेयकों को तैयार करना था, जबकि संसदीय कार्य विभाग को इनके समन्वय की जिम्मेदारी थी। लेकिन देरी के कारण अब सदन में जल्दबाजी में इन्हें पारित कराना पड़ेगा।
विधानसभा अध्यक्ष के सामने चुनौती
विधानसभा अध्यक्ष को इन विधेयकों पर चर्चा कराने के लिए 48 घंटे की जरूरत होती है, जो 12 मार्च को पूरे होंगे। लेकिन अब एक ही दिन में तीन विधेयकों और बजट को पास करवाने की चुनौती है। इस कारण प्रश्नकाल और शून्यकाल रद्द हो सकता है, और सीधे विधेयकों पर चर्चा की जाएगी।