🌾 फसलों पर असर
- गर्मी और तेज़ हवाओं से खेतों में नमी घट रही है।
- गेहूं और जौ के दाने पूरी तरह विकसित नहीं हो पा रहे।
- अगर स्थिति नहीं सुधरी तो फसल की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
- हल्के दाने होने से किसानों को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है।
🚜 किसानों की बढ़ी चिंता
सीकर जिले में किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
- मौसम में बदलाव और देरी से हुई बुवाई के कारण फसल पर असर पड़ा।
- शुरुआत में मावठ (बारिश) ने फसलों को बढ़ने में मदद की थी।
- अब गेहूं और जौ की फसल में बालियां निकल आई हैं, लेकिन तापमान बढ़ने से नुकसान का डर है।
- किसान लगातार सिंचाई कर रहे हैं ताकि फसलों को बचाया जा सके।
🌡 चिंता की वजह
- दिन का तापमान 38°C तक पहुंच गया है।
- रात का तापमान भी 14-16°C के बीच बना हुआ है।
- सूखी हवाओं के कारण फसलें पीली पड़ने लगी हैं।
- फसल समय से पहले पकने के कारण उत्पादन कम हो सकता है।
📊 कहां कितनी बुवाई हुई?
फसल | सीकर (हेक्टेयर) | झुंझुनूं (हेक्टेयर) | नागौर (हेक्टेयर) |
---|---|---|---|
गेहूं | 82,522 | 68,865 | 22,800 |
जौ | 30,002 | 9,420 | 2,900 |
चना | 35,654 | 50,512 | 34,500 |
सरसों | 57,489 | 1,05,590 | 46,800 |
🌾 विशेषज्ञों की राय
शिशुपाल सिंह, प्रगतिशील किसान का कहना है कि मौसम में बदलाव के कारण फसलें सूख रही हैं। समय से पहले पकने की वजह से फसल की गुणवत्ता खराब होगी और उत्पादन घटेगा, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
➡ अगर जल्द बारिश नहीं हुई और तापमान नहीं घटा तो फसलें और ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं। 🌾💧