जनजातीय खेलों को मिलेगा बढ़ावा
जनजातीय समाज में तीरंदाजी और गोफन गुलेल जैसे पारंपरिक खेल बहुत लोकप्रिय हैं। ये खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि जीवनशैली और कौशल विकास का हिस्सा भी हैं। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण जनजातीय युवा आगे नहीं बढ़ पाते।
सांसद पाटिल ने कहा कि खंडवा संसदीय क्षेत्र में खेल अकादमी बनने से जनजातीय युवाओं को सही मंच मिलेगा। इससे उनकी प्रतिभा निखरेगी और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिलेगा।
जनजातीय समाज में छिपी खेल प्रतिभाएं
भील, भिलाला, कोरकू और गोंड जनजातियों में कई प्रतिभाशाली तीरंदाज हैं। यह कला उन्हें पूर्वजों से विरासत में मिली है। पहले यह शिकार और आत्मरक्षा के लिए इस्तेमाल होती थी, लेकिन अब यह एक अंतरराष्ट्रीय खेल बन चुका है।
खेल अकादमी से क्या होगा फायदा?
- खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा।
- उनकी कार्यक्षमता में सुधार होगा।
- जनजातीय युवाओं को नए अवसर मिलेंगे।
- खेल भावना को बढ़ावा मिलेगा।
- जनजातीय समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास में मदद मिलेगी।
सरकार से जल्द फैसला लेने की उम्मीद
खंडवा क्षेत्र में लंबे समय से खेल अकादमी की मांग हो रही है। सांसद पाटिल को उम्मीद है कि सरकार जल्द इस पर फैसला लेगी। इससे जनजातीय युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का बड़ा अवसर मिलेगा और उनकी संस्कृति और परंपराएं भी संरक्षित रहेंगी।