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पहले धूल उड़ती थी, अब गुलाल – होली के बदलते रंग

समय के साथ सब कुछ बदलता है, तो हमारे त्योहार भी पीछे कैसे रह सकते हैं? पहले जब रंग और गुलाल नहीं मिलते थे, तो लोग धूल और मिट्टी से ही होली खेल लेते थे। लेकिन आज के समय में बिना अनुमति के कोई रंग भी लगा दे, तो लोग बुरा मान जाते हैं।

बुजुर्ग बताते हैं कि पुराने समय में गांवों में बच्चे गुलाल की जगह धूल उड़ाते थे। होलिका दहन के अगले दिन सभी धर्म, जाति और भेदभाव भूलकर एक-दूसरे के घर जाकर होली की शुभकामनाएं देते थे। समय के साथ बदलाव तो हुआ, लेकिन होली की मस्ती में कोई कमी नहीं आनी चाहिए

जिले में पांच दिन चलेगा होली का त्योहार

🔹 गुरुवार रात को होलिका दहन के साथ रंगोत्सव की शुरुआत होगी।
🔹 शुक्रवार को धुलेंडी मनाई जाएगी, इस दिन लोग गमी वाले परिवारों से मिलने जाते हैं
🔹 15 मार्च को महादेव की होली खेली जाएगी, जिसमें कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे
🔹 14 मार्च को आष्टा, जावर और इछावर में होली खेली जाएगी
🔹 जिले में करीब 2000 स्थानों पर होलिका दहन होगा
🔹 शराब की दुकानें बंद रखने का आदेश दिया गया है और पुलिस ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए हैं

होली के दिन लगेगा चंद्रग्रहण

🔹 पंडित गणेश शर्मा के अनुसार, इस साल का पहला चंद्रग्रहण 14 मार्च को पड़ेगा
🔹 ग्रहण सुबह 9:29 बजे से दोपहर 3:29 बजे तक रहेगा
🔹 भारत में यह ग्रहण नहीं दिखेगा, इसलिए सूतक काल के नियम यहां मान्य नहीं होंगे
🔹 13 मार्च की रात को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को होली खेली जाएगी

पहले की होली थी अनोखी

🔹 बरखेड़ी के 65 वर्षीय बनवारी लाल त्यागी बताते हैं कि 50 साल पहले गांवों में होली कुछ अलग ही होती थी।
🔹 रंग और गुलाल की जगह धूल और गोबर के पानी से होली खेली जाती थी
🔹 ढोल बजाकर, फाग गाते हुए एक गांव से दूसरे गांव जाकर लोग एक-दूसरे को बधाई देते थे
🔹 बिजलौन के 62 वर्षीय बाबूलाल कुशवाह बताते हैं कि पहले लोग एक महीने पहले से ही होली की तैयारियां शुरू कर देते थे

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

🔹 पूजन समय: 13 मार्च, शाम 6:28 बजे से 9:29 बजे तक
🔹 होलिका दहन: 13 मार्च की रात 11:26 बजे के बाद

👉 समय भले ही बदल गया हो, लेकिन होली का असली मजा तभी है जब सभी मिलकर हंसते-गाते इस रंगों के त्योहार को मनाएं! 🎨🎉

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