महिला सुरक्षा को लेकर सिविल लाइंस, अबा अपार्टमेंट में स्वर्णकार महिला मंडल की बैठक आयोजित की गई। इस चर्चा में महिलाओं ने कहा कि नारी खुद शक्ति का प्रतीक है, लेकिन समाज में उसकी सुरक्षा को लेकर कई चुनौतियां बनी हुई हैं।
नारी सम्मान जरूरी
साहित्यकार सिद्धेश्वरी सराफ ने कहा कि जिस नारी ने जीवन दिया, वही अब खुद असुरक्षित महसूस कर रही है। कुछ लोगों की सोच महिलाओं के प्रति नकारात्मक होती जा रही है। इसलिए जरूरी है कि हर व्यक्ति नारी सुरक्षा की जिम्मेदारी ले। अगर महिलाओं को समान अधिकार मिलेगा, तो वे बिना डर के आगे बढ़ सकेंगी।
सोशल मीडिया और सुरक्षा
रूबी गणेश सोनी ने कहा कि आज के सोशल मीडिया युग में भी महिला सुरक्षा बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब तक ऐसा कोई ठोस सिस्टम नहीं बना जो महिलाओं के मन से असुरक्षा की भावना को मिटा सके।
महिलाओं को खुद को मजबूत बनाना होगा
मीना सोनी ने कहा कि महिलाओं को खुद को असुरक्षित मानने की सोच बदलनी होगी। परिवार को भी बहू-बेटियों को आत्मनिर्भर और निडर बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
निधि नरवैया ने कहा कि नारी दुर्गा और रानी दुर्गावती की तरह शक्ति का प्रतीक है। उसे इतना मजबूत बनना होगा कि अपराधी खुद डरें।
सामाजिक पहल की जरूरत
सीता सोनी ने सुझाव दिया कि महिला संगठनों को सुरक्षा और जागरूकता से जुड़े कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित करने चाहिए, ताकि महिलाएं मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनें।
सम्मेलन में शामिल महिलाएं
इस कार्यक्रम में शोभा सोनी, मंजू सोनी, अंजना सराफ, राजेश्वरी नरवरिया, शालिनी सराफ, नीता सराफ, रागिनी सोनी, आशा सोनी, रानी सोनी, उर्मिला सोनी, प्रेमलता सोनी, प्रतिष्ठा सोनी, रश्मि सोनी, वैशाली जौहरी, मनी सोनी, मनीषा, गायत्री, अंकिता सोनी सहित कई महिलाओं ने विचार साझा किए।
निष्कर्ष:
महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ कानून का विषय नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। अगर हम महिलाओं को सम्मान और समानता का अवसर दें, तो वे बिना किसी डर के आगे बढ़ सकती हैं।