मंदिर में सुबह 11:15 बजे 51 किलो दूध से पंचामृत अभिषेक कर माता सीताजी को रजवाड़ी आभूषण पहनाए गए। 101 हवाई गर्जनाओं के साथ माता की जन्म आरती, पालना झांकी, भजन और पद गायन हुआ।
माता जानकी धन और वैभव की देवी लक्ष्मी जी का ही रूप हैं और राजा रामचंद्र जी भगवान विष्णु के अवतार हैं। जानकी नवमी पर माता सीता के दर्शन करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है। जानकी नवमी के अवसर पर शुक्रवार को माता सीता का जन्मोत्सव मनाया गया। मंदिरों को सुंदर फूलों से सजाकर फूल बंगला का रूप दिया गया। सुबह माता जानकी का पंचामृत अभिषेक कर जन्म आरती की गई। इस अवसर पर भक्तों ने माता जानकी के चरण दर्शन किए, जो साल में एक ही दिन होते हैं।