
बैठकों पर रोक से विश्वविद्यालयों में कामकाज प्रभावित

राजस्थान में नई सरकार बनने के बाद से सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रबंधन मंडल (बॉम) की बैठकें नहीं हो रही हैं, जिससे कई फैसले लंबित पड़े हैं। शिक्षकों की पदोन्नति और भर्ती जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं भी रुक गई हैं।
बैठकों पर रोक क्यों लगी?
- राज्य सरकार के वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर क्षेत्रीय विधायकों, सरकारी कॉलेजों के प्राचार्यों और शिक्षाविदों को प्रबंधन मंडल सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- पिछले साल विधायकों की नियुक्ति तो हो गई, लेकिन प्राचार्यों और शिक्षाविदों की नियुक्ति नहीं हुई।
- जब सरकार को इस गलती का अहसास हुआ, तो 2 जनवरी को उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर सदस्यों के मनोनयन से पहले सभी बैठकों पर रोक लगा दी।
- अब विश्वविद्यालयों को बॉम सदस्यों की नियुक्ति का इंतजार है ताकि आगे की बैठकें आयोजित की जा सकें।
राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में बैठकें ठप
विश्वविद्यालय | अंतिम बैठक | लंबित मुद्दे |
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मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर | 10 दिसंबर 2024 | 135 शिक्षकों की पदोन्नति अटकी |
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर | 15 अक्टूबर 2024 | 400 शिक्षकों की पदोन्नति रुकी |
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर | 4 अक्टूबर 2024 | अगली बैठक 29 मार्च को होगी |
शेखावाटी विश्वविद्यालय, सीकर | 14 जून 2024 | 18 मार्च को बैठक प्रस्तावित |
कोटा विश्वविद्यालय, कोटा | 20 दिसंबर 2024 | 20 शिक्षकों की पदोन्नति का मुद्दा अटका |
एमबीएम विश्वविद्यालय, जोधपुर | 2 जुलाई 2024 | आर्किटेक्चर विभाग के प्रो. पुलकित गुप्ता के टर्मिनेशन पर फैसला |
विशेष बैठक के लिए आग्रह पत्र
शेखावाटी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. अनिल राय ने कहा कि
“हमने उच्च शिक्षा विभाग को प्रबंधन मंडल और विद्या परिषद की विशेष बैठक आयोजित करने के लिए पत्र लिखा है। दीक्षांत समारोह के लिए अकादमिक काउंसिल और प्रबंधन मंडल की बैठक जरूरी होती है।”
अब विश्वविद्यालयों को जल्द से जल्द बैठकों की अनुमति मिलने का इंतजार है, ताकि लंबित फैसले लिए जा सकें और शैक्षणिक कामकाज सामान्य हो सके।