गुड़ बनाने का परंपरागत व्यवसाय भी प्रभावित
📉 पहले बस्तर में 5,000 से 6,000 हेक्टेयर में गन्ना उगाया जाता था, लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 328 हेक्टेयर रह गया है।
🍯 गन्ने से बनने वाला गुड़ भी कम हो रहा है, जिससे इसका व्यापार प्रभावित हुआ है।
💰 हर साल करीब 150 किसान और व्यापारी मिलकर 20 लाख रुपये का गुड़ तैयार करते हैं, लेकिन इसकी मांग अब घट गई है।
गन्ने की खेती में गिरावट के कारण
🚜 धान और मक्का की ओर बढ़ता रुझान – किसान गन्ने की जगह दूसरी फसलें उगाना पसंद कर रहे हैं।
💧 सिंचाई की कमी – पर्याप्त पानी न मिलने से गन्ने की खेती मुश्किल हो रही है।
📉 गन्ने की कीमत तय नहीं – किसानों को भरोसा नहीं है कि उन्हें सही दाम मिलेगा।
📍 भौगोलिक दिक्कतें – गन्ना सिर्फ 40 किमी के दायरे में सप्लाई किया जा सकता है, जिससे इसकी खेती सीमित रह गई है।
शक्कर कारखाने की योजना क्यों रुकी?
🏭 बकावंड ब्लॉक में शक्कर कारखाना खोलने का प्रस्ताव सात साल पहले दिया गया था।
📋 लेकिन अधिकारियों की रिपोर्ट में बताया गया कि गन्ने की आपूर्ति स्थायी रूप से संभव नहीं, जिससे यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी।
गन्ने की खेती को बढ़ावा देने के लिए क्या किया जाए?
🔬 नई उन्नत किस्मों पर शोध होना चाहिए ताकि अधिक पैदावार मिले।
🌱 कृषि अनुसंधान केंद्रों में नई वैरायटी विकसित करनी होगी ताकि किसान दोबारा गन्ना उगाने के लिए प्रेरित हों।
🚜 सरकारी योजनाओं और तकनीकी मदद से किसानों को गन्ना उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
कृषि विभाग का क्या कहना है?
राजीव श्रीवास्तव, उप संचालक, कृषि विभाग का कहना है कि किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन वे धान और मक्का उगाने में ज्यादा रुचि रखते हैं। बड़े किसानों के लिए यह फसल फायदेमंद हो सकती है, लेकिन छोटे किसान इससे दूरी बनाए हुए हैं।
अगर सरकार और कृषि विशेषज्ञ मिलकर गन्ने की खेती पर ध्यान दें, तो बस्तर में फिर से गन्ने की खेती बढ़ सकती है और शक्कर कारखाने की योजना को दोबारा शुरू किया जा सकता है।