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नोएडा में नमो भारत ट्रेन के ट्रैक को लेकर विवाद, मेट्रो कारपोरेशन ने जताई आपत्ति

नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में नमो भारत ट्रेन (रैपिड रेल) और मेट्रो के एक ही ट्रैक पर संचालन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (NMRC) ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है, जिससे इस परियोजना में देरी हो सकती है।

मेट्रो और रैपिड रेल के ट्रैक को लेकर असहमति

मेरठ साउथ से दिल्ली के न्यू अशोक नगर तक नमो भारत ट्रेन (रैपिड रेल) चलाने की योजना है। लेकिन NMRC का कहना है कि मेट्रो और रैपिड रेल को एक ही ट्रैक पर चलाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है

  • मेट्रो की औसत गति 60 किमी/घंटा होती है, जबकि नमो भारत ट्रेन 100 किमी/घंटा या अधिक की रफ्तार से चलती है।
  • दोनों ट्रेनों की सिग्नलिंग प्रणाली अलग-अलग होती है।
  • मेट्रो के ट्रैक हल्के होते हैं, जबकि नमो भारत ट्रेन के लिए मजबूत ट्रैक की जरूरत होती है।
  • मेट्रो के प्रति कोच का वजन 42 टन, जबकि नमो भारत ट्रेन का 60 टन होता है।

अलग-अलग ट्रैक की जरूरत

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लिए नोएडा सेक्टर-51 से नॉलेज पार्क-5 तक नई एक्वा मेट्रो लाइन प्रस्तावित है। वहीं, गाजियाबाद से नोएडा एयरपोर्ट तक नमो भारत ट्रेन चलाने की योजना है।

  • दोनों रूट ग्रेटर नोएडा वेस्ट से गुजरते हैं, इसलिए एक ही ट्रैक पर दोनों सेवाएं चलाने का प्रस्ताव दिया गया था।
  • NMRC ने इस पर आपत्ति जताई, जिससे अब इस मामले में मंत्रालय स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा

डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में उठे सवाल

केंद्र सरकार ने नोएडा एयरपोर्ट से गाजियाबाद तक प्रस्तावित नमो भारत ट्रेन की डीपीआर को कुछ आपत्तियों के साथ वापस भेज दिया था।

  • मेट्रो, रैपिड रेल और लाइट ट्रांजिट रेल को एक ही ट्रैक पर चलाना मुश्किल हो सकता है।
  • राज्य सरकार ने NCR प्लानिंग बोर्ड को इन आपत्तियों का समाधान निकालने की जिम्मेदारी दी है

ब्लू लाइन से जुड़ेगी मेट्रो एक्वा लाइन

नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (NMRC) ने बताया कि एक्वा मेट्रो को नोएडा मेट्रो की ब्लू लाइन (सेक्टर-61) से जोड़ा जाएगा

  • सेक्टर-61 मेट्रो स्टेशन पर एक्वा लाइन के लिए प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा
  • इस प्रोजेक्ट की डीपीआर केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है।

क्या होगा आगे?

अब केंद्र सरकार को यह तय करना है कि मेट्रो और नमो भारत ट्रेन को एक ही ट्रैक पर चलाया जाए या दोनों के लिए अलग-अलग ट्रैक बनाए जाएं। जब तक यह फैसला नहीं होता, तब तक इस परियोजना पर आगे की कार्रवाई रुकी रहेगी।

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