जय यात्रा उत्सव में ठाकुर जी को रियासत कालीन चांदी की कमल नुमा होदी में विराजमान कराया गया। इसमें चांदी के 8-10 फव्वारे लगे हैं। इसके नीचे तांबे और पीतल के 10-12 फव्वारे भी लगाए गए हैं।
हाथ में सोने की पिचकारी दी गई आज ठाकुर जी को सफेद धोती और दुपट्टा धारण कराया गया। उन्हें फूलों का मुकुट और अन्य फूलों से सजाया गया। जल में केवड़ा और गुलाब जल मिलाया गया। ठाकुर जी और राधा रानी के हाथ में सोने की पिचकारी दी गई। अब अगले 12 दिन ठाकुर जी और राधा रानी के जल क्रीड़ा करते हुए अद्भुत दर्शन होंगे। 10-12 साल पहले जल विहार की झांकी के समय को कम कर दिया गया है, ताकि जल का संरक्षण हो सके।
सिर्फ 15 मिनट होती है जल विहार की झांकी कुछ साल पहले तक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से एक महीने तक जल विहार की झांकी होती थी, जिसमें एक घंटे तक भगवान को जल विहार कराया जाता था। लेकिन अब पानी बचाने के संदेश के साथ, विशेष तिथि और उत्सव पर ही जल विहार की झांकी सजाई जाती है। अब महज 15 मिनट के लिए जल विहार की झांकी होती है। अब 22 जून तक दोपहर 12:30 से 12:45 बजे तक ठाकुरजी की जल यात्रा झांकी सजाई जाएगी।
श्रद्धालुओं का उत्साह दर्शन करने आई श्रद्धालु इंदु ने कहा, “इस महीने भीषण गर्मी हो रही है। ठाकुर जी को भी गर्मी से राहत देने के लिए फव्वारे से ठंडक की जा रही है। ठाकुर जी हम भक्तों को भी गर्मी से राहत देते हैं।”
पंजाब से जल विहार के दर्शन करने आई महिला पंजाब से अपनी बहन पायल पुनिया के साथ दर्शन करने आई प्रिया पुनिया ने बताया, “हम खास ठाकुर जी के जल विहार के दर्शन करने आए हैं। अपने साथ गोपाल की मूर्ति भी लाई हूँ। संसार में कान्हा जी के अलावा कुछ भी नहीं है, मैंने इन्हें अपना सबकुछ माना है।”
खास बात यह है कि ठाकुर जी के जल विहार का पानी मंदिर के पीछे जय निवास उद्यान में निकलता है। लोग इससे स्नान करते हैं और इस जल को बोतल में भरकर घर ले जाते हैं।
22 जून को ज्येष्ठाभिषेक जल यात्रा उत्सव के आखिरी दिन 22 जून को ज्येष्ठाभिषेक होगा। इसमें ठाकुर जी और राधा रानी का पंचामृत अभिषेक होगा। जल यात्रा उत्सव मंदिर गोविंददेवजी के साथ अन्य मंदिरों में भी मनाया जाएगा, जैसे मंदिर राधा माधव जी कनक घाटी, मंदिर कुंज बिहारी जी कनक घाटी, मंदिर नटवर जी कनक घाटी और मंदिर काला महादेव कनक घाटी।