मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय ने बताया कि 24 घंटे तक चलने वाली इस गणना से पहले वनकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इस गणना में टाइगर, लेपर्ड, भालू, हिरण, भेड़िये, नीलगाय, सियागोश, लोमड़ी, जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, नेवला, सांभर और अन्य वन्यजीवों की गणना की जाएगी। कई वाटर पॉइंट्स पर कैमरे भी लगाए गए हैं, जो पानी पीने आने वाले वन्यजीवों के फोटो खींचेंगे।
उपाध्याय ने बताया कि भीषण गर्मी में प्रत्येक जानवर 24 घंटे में एक या उससे अधिक बार पानी पीने वाटर पॉइंट्स तक अवश्य पहुंचता है। ऐसे में वाटर पॉइंट्स के पास कैमरे लगाने के साथ ही पेड़ पर बनी मचान पर बैठे वनकर्मी उन पर नजर रखकर गणना करते हैं। इसके बाद प्रदेशभर के आंकड़ों को एकत्रित करके जारी किया जाएगा।
इस बार जयपुर के झालाना लेपर्ड रिजर्व में कुल 12 वाटर पॉइंट पर मचान बनाए गए हैं। गलता रिजर्व क्षेत्र में 7 मचान, सूरजपोल में 4, झोटवाड़ा, गोनेर और मुहाना में 1-1 मचान बनाए गए हैं। इन जगहों पर बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी भी वन्यजीवों की गणना में भाग ले रही हैं। जयपुर प्रादेशिक रेंज क्षेत्र में कुल 26 मचान हैं, जिनमें 26 वनकर्मी और 26 स्वयंसेवक शामिल हैं। इनमें 5 महिला वनकर्मी और 5 महिला स्वयंसेवक भी शामिल हैं।
पिछले साल बारिश के कारण वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी। इस बार यह गणना बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इससे वन्यजीवों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मिल पाएंगे, जो जल्द ही वन विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे।