सरकार ने 1500 ट्यूबवेल बनाने में 70 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है। इस काम की जिम्मेदारी जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी और सचिव डॉ. समित शर्मा पर है।
अब मानसून में ही मिलेगा पानी
मार्च के पहले सप्ताह में सरकार ने 175 करोड़ रुपए मंजूर किए थे ताकि अप्रैल तक सभी काम पूरे हो जाएं। लेकिन इंजीनियरों की लापरवाही के कारण यह काम अगस्त तक खिंच गया है। अब जनता को पानी मानसून के बाद ही मिलेगा जबकि अभी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
20% काम में 75 दिन लगे, 6 दिन में 80% काम कैसे होगा?
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जलदाय विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। सचिव समित शर्मा ने 31 मई तक काम पूरा करने की डेटलाइन दी है, लेकिन 20% काम होने में 75 दिन लगे, तो 6 दिन में 80% काम पूरा होना मुश्किल है।
कलेक्टरों का रिपोर्ट कार्ड
सरकार ने 358 आकस्मिक कार्यों के लिए 23.66 करोड़ मंजूर किए थे, लेकिन ढाई महीने बाद भी 123 काम बाकी हैं। सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी, बांसवाड़ा, झालावाड़ और धौलपुर जिलों में प्रगति सबसे कम है।
इंजीनियरों के 90% काम बाकी
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 138.33 करोड़ के 497 कार्य और शहरी क्षेत्रों के लिए 13 करोड़ के 21 कार्य स्वीकृत किए थे, लेकिन इनमें से केवल 48 काम पूरे हुए हैं। नागौर, जालोर, डीडवाना और जैसलमेर जिलों में प्रगति सबसे कम है।
बजट तो दिया, पर पानी नहीं मिला
सरकार ने 1825 हैंडपंप के लिए 23.26 करोड़ और 573 ट्यूबवेल के लिए 53.80 करोड़ रुपए का बजट दिया था, लेकिन नागौर, अजमेर, डीडवाना, टोंक और जालोर में बहुत कम काम हुआ है।