जूली ने कहा कि मुख्यमंत्री बिना जानकारी के आदेश दे देते हैं कि बिजली कटौती नहीं होगी, जबकि रोजाना 5-6 घंटे की कटौती से जनता परेशान है। बिजली मंत्री हास्यास्पद बयान दे रहे हैं कि दिन में आपूर्ति पूरी हो रही है और रात को खपत बढ़ जाती है। लोग दिन भर के थके मांदे रात को सोना चाहते हैं, लेकिन अचानक बिजली कट जाने से उनकी नींद खराब हो जाती है। बिजली विभाग के इंजीनियर रात को फोन तक नहीं उठाते, और कॉल सेंटर का नंबर हमेशा व्यस्त रहता है।
जूली ने कहा कि भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग तेजी से बढ़कर 280 लाख यूनिट प्रतिदिन तक पहुंच गई है। मांग और सप्लाई में अंतर होने से फॉल्ट, ट्रिपिंग, और कम वोल्टेज की समस्याएं हो रही हैं। अब तो हालत यह है कि प्रदेश की 3 लाख से अधिक औद्योगिक इकाइयों में भी बिजली कटौती की संभावना बन रही है।
जूली ने कहा कि आम जनता, विधायक, कलेक्टर और विभागीय अधिकारी शिकायत दर्ज करने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। सीएम ने बिजली कटौती वाले जिलों के कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन आज तक कितने कलेक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई? निर्बाध बिजली आपूर्ति नहीं करने वाले जिम्मेदार अफसरों पर एक्शन लें।