सीनियर प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र मांडिया ने बताया कि 6 मई को अलवर से एक युवक रेफर होकर आया था। उसके पेट में तेज दर्द हो रहा था। परिजनों ने बताया कि वह लोहे की कीलें, सूइयां और सिक्के खा गया था। डॉक्टरों की टीम ने एक्सरे और सीटी स्कैन किया।
जांच में पता चला कि युवक के पेट में लोहे की बहुत सारी चीजें जमा हो गई थीं, जो बड़ी आंतों तक पहुंच गई थीं। डॉक्टरों की टीम ने बिना चीरा लगाए दूरबीन से ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। हालांकि यह ऑपरेशन करना काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण था। फिर भी, डॉ. मांडिया की नेतृत्व में डॉक्टरों ने 3 घंटे में सफल ऑपरेशन किया।
युवक रेवाड़ी का रहने वाला था और उसकी मानसिक स्थिति थोड़ी कमजोर थी, इसलिए उसने लोहे की चीजें निगल लीं। दर्द होने पर घरवालों ने जांच करवाई और उसे अलवर में भर्ती करवाया, जहां से 6 मई को जयपुर रेफर कर दिया गया। यहां आने पर ऑपरेशन किया गया और पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
लेप्रोस्कोपी से पेट को खोलकर सारी कीलें, सुई, चाबी और नट-बोल्ट निकाले गए और बाद में दूरबीन से ही पेट को टांकों की मदद से बंद किया गया। युवक के पेट से निकाली गई कीलें अलग-अलग साइज की थीं।