चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि इस घटना के बाद अस्पताल का नाम राज्य सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं से हटाने की प्रक्रिया जारी है।
पूरे मामले की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय की गाइडलाइन के अनुसार 5 सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है। इस जांच के बाद पुलिस अधीक्षक झुंझुनू की ओर से एफआईआर दर्ज की जाएगी और पीड़ित मरीज के भर्ती से लेकर डिस्चार्ज तक की पूरी जांच होगी।
डॉ. संजय धनखड़ पहले भी लापरवाही के आरोप में निलंबित हो चुके हैं। पहले वे राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल में कार्यरत थे, लेकिन वहां भी लापरवाही के कारण निलंबित हुए थे। 2020 में उन्हें सीएचसी भालेरी भेजा गया था, लेकिन उन्होंने वहां ज्वाइन नहीं किया और अपना खुद का अस्पताल खोल लिया।
जांच दल ने अस्पताल का रिकॉर्ड खंगाला और डॉ. संजय धनखड़ के बयान लिए। जब जांच दल अस्पताल पहुंचा, तब वहां एक भी मरीज नहीं था और सभी पलंग खाली पड़े थे। कलेक्टर और सीएमएचओ ने बताया कि कई मरीजों को बीडीके अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है, जबकि कई मरीज स्वतः ही चले गए।
जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने बताया कि अस्पताल को सीज कर दिया गया है और मेडिकल नेग्लीजेंसी की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित की गई है। उन्होंने कहा कि मरीज की मेडिकल कंडीशन की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही वे कोई टिप्पणी करेंगी। घटना के किसी गिरोह से जुड़ने की आशंका के सवाल पर उन्होंने कहा कि टीमें जांच कर रही हैं।