राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को लेकर माहौल एक बार फिर गरमा गया है। छात्र नेताओं ने एकत्रित होकर अपने खून से राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को छात्र चुनाव बहाली के लिए पत्र लिखा है।
राजस्थान में 15 विश्वविद्यालय हैं, जिनके अधीन 50 से ज्यादा सरकारी और 300 से ज्यादा निजी कॉलेज हैं। अधिकतर कॉलेजों में हर साल चुनाव होते थे। लेकिन पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 12 अगस्त 2023 को एक आदेश जारी कर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी।
राज्य सरकार का तर्क था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की क्रियान्विति की स्थिति जानने और अन्य बड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए 12 अगस्त 2023 को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने हिस्सा लिया और छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने की राय दी। इसी आधार पर राज्य सरकार ने चुनाव पर रोक लगाने के आदेश जारी किए।
छात्रसंघ चुनावों के लिए लिंगदोह कमेटी की शर्तें लागू की गई हैं, लेकिन इन शर्तों का जमकर उल्लंघन होता है। शर्तों के अनुसार, एक प्रत्याशी अधिकतम पांच हजार रुपये चुनाव में खर्च कर सकता है, लेकिन प्रत्याशी लाखों रुपये खर्च करते हैं।
साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव हुए और नई भजनलाल सरकार ने मोर्चा संभाला। छात्रों को उम्मीद थी कि नई सरकार उनके हितों का ध्यान रखेगी और छात्रसंघ चुनाव कराएगी। लेकिन अब तक सरकार की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है और न ही विश्वविद्यालय के कुलपति से चुनाव के संबंध में कोई बात की गई है।
राजस्थान विश्वविद्यालय की वीसी अल्पना कटेजा ने कहा था कि वह छात्र राजनीति के खिलाफ नहीं हैं। अगर उनसे राय मांगी जाएगी तो वह चुनाव कराने के पक्ष में अपनी राय देंगी।
विधानसभा के बजट सत्र में भी शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने छात्र राजनीति और छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग विधानसभा में रखी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। छात्र नेता लगातार चुनाव कराने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।