जयपुर के एक नामी परिवार के युवक को साइबर ठगों ने 8 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और 712 करोड़ रुपए की टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी देकर 4.55 लाख रुपए ठग लिए। ठगों ने खुद को आरबीआई, सीबीआई, ईडी के अधिकारी और हैदराबाद पुलिस का सदस्य बताकर युवक को फंसाया। यह डिजिटल अरेस्ट का संभवतः देश का पहला मामला है, जो इतने लंबे समय तक चला।
कैसे शुरू हुआ मामला
1 अगस्त को दोपहर 1:56 बजे युवक के मोबाइल पर कॉल आया। कॉलर ने खुद को आरबीआई कस्टमर सर्विस का अधिकारी बताया और कहा कि युवक का क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट हो गया है। जब युवक ने इसे नकारा, तो कॉलर ने उसे हैदराबाद पुलिस से बात करने को कहा और कॉल ट्रांसफर कर दिया।
आतंकी फंडिंग का झूठा आरोप
एक महिला ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर कहा कि 712 करोड़ की टेरर फंडिंग में युवक के खाते का इस्तेमाल हुआ है। जब युवक ने मना किया, तो महिला ने धमकी दी कि उसके खाते से 20 लाख आतंकी गतिविधियों के लिए भेजे गए हैं। महिला ने जांच के बहाने युवक से आधार और बैंक खाते की डिटेल्स ले ली और फर्जी वारंट और नोटिस भेजने लगी।
फर्जी वारंट और नया फोन खरीदवाना
ठगों ने युवक को डराकर नया मोबाइल फोन खरीदवाया और स्काइप ऐप डाउनलोड करवाकर वीडियो कॉल पर निगरानी रखी। इस दौरान युवक को एक दिन होटल में भी ठहराया गया। ठगों ने उसके आधार और बैंक खातों की जानकारी निकाल ली और एफडी तुड़वाने के लिए दबाव डाला।
कैसे हुआ खुलासा
आठ दिन बाद, जब युवक ने अपने पिता से चेकबुक के बारे में पूछा, तो मामला खुला। पिता ने तुरंत वीडियो कॉल बंद कराई और ठगों के चंगुल से बेटे को बाहर निकाला। शनिवार को परिवार ने एफआईआर दर्ज कराने का फैसला किया।
डिजिटल हाउस अरेस्ट से बचने के उपाय
डिजिटल हाउस अरेस्ट साइबर ठगी का नया तरीका है। अगर आपको फर्जी फोन कॉल्स मिलती हैं, तो बिना डरे तुरंत पुलिस से संपर्क करें। केंद्र सरकार ने साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए www.sancharsaathi.gov.in पर चाक्षु पोर्टल लॉन्च किया है। आप सायबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर या www.cybercrime.gov.in पर भी मदद ले सकते हैं। किसी भी फर्जी कॉल से डरें नहीं और तुरंत अपने घरवालों और पुलिस को बताएं। ठग सिर्फ आपके डर का फायदा उठाना चाहते हैं।