जिले के सभी कुम्हार, खासकर पुरानी टेहरी और कुम्हरयाना के कुम्हार, अपने घरों में मिट्टी के दीपक, कलश, और हवन कुंडी बनाने में जुटे हैं। घर के हर कोने में दीपक बनाए जा रहे हैं, जिन्हें बिक्री के लिए तैयार किया जा रहा है। पुरुष दीपक और कलश बनाते हैं, जबकि महिलाएं और बच्चे इन्हें सुखाकर रंगाई करते हैं। पुरुष यह सुनिश्चित करते हैं कि दीपक अच्छी तरह सूख चुके हों, फिर इन्हें सही ढंग से रखते हैं। इन कारीगरों को दीपावली से काफी उम्मीदें होती हैं, और इस त्योहार पर देशी दीपक खरीदने का चलन भी बढ़ा है, जिससे उनका काम अच्छा चल रहा है।
दीपावली की तैयारी महीनों पहले से पुरानी टेहरी के निवासी मुन्नालाल कुम्हार बताते हैं कि वे दीपावली के लिए एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। गणेश चतुर्थी के बाद ही वे खेतों से मिट्टी लाकर उसे साफ करना शुरू कर देते हैं। जैसे ही मौसम साफ होता है, वे मिट्टी को गूंथकर दीपक बनाना शुरू कर देते हैं। मुन्नालाल बताते हैं कि वे पूरे परिवार की मदद से लगभग 20,000 दीपक तैयार करते हैं। इसके साथ ही पूजा के लिए सुंदर कलश, लक्ष्मी और कुबेर की मिट्टी की मूर्तियां, हवन कुंडी आदि भी बनाते हैं। उन्हें उम्मीद है कि दीपावली तक वे 40 से 50 हजार रुपये तक का व्यापार कर लेंगे, जिससे उनका घर भी इस बार खुशी से दीपावली मना सकेगा।
बाजार की रौनक अगले सप्ताह से दीपावली के लिए कुछ लोग बाजार में सामान लाना शुरू कर चुके हैं, लेकिन एक सप्ताह बाद बाजार पूरी तरह सज जाएगा। हर जगह दीपक और मिट्टी के अन्य सामानों की दुकानें सजने लगेंगी। जिले के मुख्यालय से लेकर बल्देवगढ़ तक के कुम्हार अपना सामान बेचने के लिए बाजार में आएंगे।