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गाजियाबाद: आयुर्वेदिक दवाओं में मिल रही नकली अशोक की छाल

गाजियाबाद। भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी आयोग के वैज्ञानिकों ने बाजार में मिलने वाले कई औषधीय पौधों की जांच की। इनमें से 15 प्रतिशत से अधिक पौधे नकली पाए गए। इनमें प्रमुख रूप से अशोक की छाल नकली मिली है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ घरेलू उपचार में भी होता है। अशोक की छाल का उपयोग पेट, त्वचा, बावासीर, हड्डियों और ल्यूकोरिया जैसी बीमारियों में किया जाता है।

आयोग की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जयंती ए. ने बताया कि अशोक की छाल का प्रयोग बड़ी कंपनियों द्वारा आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। कई बार इसकी शिकायतें भी मिली थीं, जिसके बाद जांच की गई। बड़ी कंपनियों की दवाओं में भी नकली छाल का पता चला है। इस मामले की जानकारी सरकार और मानक ब्यूरो को दी गई है ताकि नकली पौधों और दवाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।

इसके साथ ही ड्रग इंस्पेक्टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे बाजार में मिलने वाली नकली दवाओं और औषधीय पौधों की पहचान कर सकें। इस पांच दिन की ट्रेनिंग में उन्हें पौधों की पहचान और उनके उपयोग के बारे में भी बताया जा रहा है।

अशोक के पेड़ के लाल फूलों में भी औषधीय गुण होते हैं, जो त्वचा रोग, महिला संबंधी समस्याओं और अन्य बीमारियों के इलाज में मददगार होते हैं। अशोक के फूलों को मेहंदी के पत्तों और नारियल तेल के साथ मिलाकर लगाने से त्वचा के रोगों में राहत मिलती है।

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