योजना का उद्देश्य अनाथ बच्चों को संस्थानों में भेजने की बजाय उनके नजदीकी रिश्तेदारों या परिचितों के परिवार में पालना और उनकी शिक्षा, भोजन, वस्त्र जैसी आवश्यक चीजों की व्यवस्था करना है। जिले में 2,917 बच्चे धौलपुर से और 17,363 बच्चे पूरे जिले से इस योजना का लाभ ले रहे हैं। इसके अलावा 6,564 आवेदन अभी सत्यापन की प्रक्रिया में हैं।
सहायता राशि और बायोमेट्रिक सत्यापन सरकार ने अभी तक जुलाई तक की सहायता राशि बच्चों के खातों में भेज दी है, जबकि अगस्त और सितंबर की राशि का वितरण अभी बाकी है। योजना के तहत बायोमेट्रिक सत्यापन आवश्यक होता है, ताकि बच्चों को उनकी सहायता राशि मिलती रहे। यदि सत्यापन नहीं हुआ, तो शैक्षणिक सत्र के लिए भुगतान रोक दिया जाता है।
इन श्रेणियों के बच्चों को मिलता है लाभ
- मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा पाए माता-पिता के बच्चे।
- निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा मां के बच्चे।
- पुनर्विवाहित विधवा मां के बच्चे।
- एड्स पीड़ित माता-पिता के बच्चे।
- कुष्ठ रोग से पीड़ित माता-पिता के बच्चे।
- नाता गए माता-पिता के बच्चे।
- तलाकशुदा या परित्यक्ता महिला के बच्चे।
- विशेष योग्यजन माता-पिता के बच्चे।
सहायता राशि
- 0-3 वर्ष के बच्चों के लिए 750 रुपए।
- 3-6 वर्ष के बच्चों के लिए 750 रुपए।
- 6-18 वर्ष के बच्चों के लिए 1500 रुपए।
- अनाथ बच्चों के लिए 0-3 वर्ष तक 1500 रुपए, 3-6 वर्ष तक 1500 रुपए, और 6-18 वर्ष तक 2500 रुपए के अलावा 2000 रुपए वार्षिक भी दिए जाते हैं।
धौलपुर के समाज कल्याण अधिकारी, देवेंद्र सिंह जांगिल ने बताया कि योजना से अभी जिले में 17,363 बच्चे जुड़े हुए हैं, और अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ने की कोशिश जारी है ताकि वे इस योजना का लाभ उठा सकें।