जालोर-झालावाड़ एक्सप्रेस-वे अमृतसर-जामनगर इकोनॉमी कॉरिडोर और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा, जिससे जालोर में व्यापारिक संभावनाओं को नई दिशा मिलेगी। बेहतर रोड कनेक्टिविटी से जालोर का ग्रेनाइट उद्योग, अनार मंडी और एग्रो प्रोडक्ट्स के व्यापारी लाभान्वित होंगे।
8 बड़े प्रोजेक्ट्स जिनकी डीपीआर बनेगी:
- जालोर-झालावाड़ एक्सप्रेस-वे: 402 किमी, अनुमानित लागत 10,300 करोड़ रुपये
- कोठपुतली-किशनगढ़ एक्सप्रेस-वे: 181 किमी, अनुमानित लागत 4,788 करोड़ रुपये
- जयपुर-भीलवाड़ा एक्सप्रेस-वे: 193 किमी, अनुमानित लागत 4,696 करोड़ रुपये
- बीकानेर-कोठपुतली एक्सप्रेस-वे: 295 किमी, अनुमानित लागत 6,301 करोड़ रुपये
- ब्यावर-भरतपुर एक्सप्रेस-वे: 342 किमी, अनुमानित लागत 8,339 करोड़ रुपये
- अजमेर-बांसवाड़ा एक्सप्रेस-वे: 358 किमी, अनुमानित लागत 8,934 करोड़ रुपये
- जयपुर-फलोदी एक्सप्रेस-वे: 345 किमी, अनुमानित लागत 7,086 करोड़ रुपये
- श्रीगंगानगर-कोठपुतली एक्सप्रेस-वे: 290 किमी, अनुमानित लागत 7,015 करोड़ रुपये
जालोर में रोड कनेक्टिविटी की स्थिति और इस प्रोजेक्ट का महत्व:
वर्तमान में जालोर में कनेक्टिविटी की कमी है, जिससे यहां के ग्रेनाइट उद्योग और अन्य व्यापारिक गतिविधियों को नुकसान हो रहा है। ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के जरिए यह प्रोजेक्ट जालोर के विकास को नई गति देगा और जालोर के ग्रेनाइट को देशभर में पहुंचाना आसान बना देगा।
अधिकारियों का कहना:
- हेमेंद्र भंडारी (सचिव, ग्रेनाइट एसोसिएशन, जालोर): “ग्रेनाइट उद्योग के लिए यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है। इससे व्यापारियों के लिए देशभर में पहुंच बनाना आसान होगा।”
- आशु गर्ग (एसई, नेशनल हाईवे, जयपुर): “डीपीआर तैयार करने के लिए एजेंसी का निर्धारण हो चुका है और अब कार्य शुरू होगा।