वक्फ बोर्ड का दावा और किसानों की आपत्ति
वक्फ बोर्ड का दावा है कि 1974 के गजट में इस जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया था। वहीं, किसानों का कहना है कि यह जमीन पीढ़ियों से उनके परिवार की है और शाह अमीनुद्दीन दरगाह का कोई अस्तित्व नहीं है। करीब 41 किसानों को नोटिस मिली है और उनसे स्वामित्व के दस्तावेज देने की मांग की गई है। किसानों ने स्थानीय विधायक और मंत्री एम बी पाटिल से इस मुद्दे पर मदद की गुहार लगाई है।
सरकार पर मिलीभगत के आरोप
मंत्री जमीर अहमद खान ने हाल ही में वक्फ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी, जिसमें वक्फ संपत्ति पर कथित अतिक्रमण को हटाने की चर्चा हुई। इसके बाद ही किसानों को नोटिस भेजी गई, जिससे किसानों का गुस्सा और बढ़ गया है। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार धर्म विशेष को खुश करने के लिए किसानों की जमीन वक्फ बोर्ड को सौंपने की साजिश कर रही है।
किसानों का विरोध और आत्महत्या की धमकी
किसानों का कहना है कि अगर वक्फ बोर्ड उनकी जमीन पर कब्जा करता है तो उनके पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। प्रभु गौड़ा नामक किसान ने बताया कि जमीन के कागजों के बिना बैंक से लोन नहीं मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाएगी। अरविंद कुलकर्णी नामक एक अन्य किसान ने कहा कि अगर उनकी जमीन छिनी गई तो वे जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर आत्महत्या करेंगे।
किसानों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है और चेतावनी दी है कि इस मामले में न्याय नहीं मिला तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।