ब्राजील ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) में शामिल होने से मना कर दिया है। ब्राजील के राष्ट्रपति के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेष सलाहकार सेल्सो एमोरिम ने कहा कि ब्राजील इसके बजाय चीनी निवेशकों के साथ सहयोग के दूसरे तरीकों की तलाश करेगा।
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ब्राजील ने चीन को बड़ा झटका देते हुए उसके बीआरआई प्रोजेक्ट में शामिल होने से इनकार कर दिया है। अब भारत के बाद ब्राजील भी ब्रिक्स संगठन का एक ऐसा देश बन गया है जिसने इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने से मना किया है। सेल्सो एमोरिम ने कहा कि ब्राजील चीन के साथ संबंधों को नए स्तर पर ले जाना चाहता है, लेकिन बिना किसी अनुबंध के।
इस घोषणा ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार को भी झटका दिया है, खासकर जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20 नवंबर को ब्राजील का दौरा करने वाले हैं। चीन की कोशिश थी कि इस यात्रा को विशेष महत्व दिया जाए, लेकिन अब ब्राजील ने इस प्रोजेक्ट से बाहर रहकर चीन की योजनाओं को प्रभावित कर दिया है।
ब्राजील में बीआरआई प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा था। कई अधिकारी मानते हैं कि इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से ब्राजील को अल्पावधि में कोई फायदा नहीं होगा और यह अमेरिका के साथ रिश्तों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। हाल में, ब्राजील के अधिकारियों ने बीजिंग में इस प्रोजेक्ट पर चर्चा की, लेकिन असंतुष्ट होकर लौटे।
भारत पहले ही इस प्रोजेक्ट में शामिल होने से मना कर चुका है, जबकि अमेरिका ने ब्राजील से बीआरआई प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार करने की अपील की थी। अब केवल कुछ छोटे अफ्रीकी देशों ने ही चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट में भागीदारी दिखाई है।
क्या है बीआरआई?
चीन ने 2013 में बीआरआई योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत, चीन विभिन्न देशों में बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह योजना छोटे देशों को कर्ज के जाल में फंसाने का तरीका है। जब ये देश कर्ज चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो चीन उन देशों के अहम संपत्तियों पर कब्जा कर लेता है या राजनीतिक रियायतें मांगता है। भारत ने भी इस योजना में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है।