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एकल पट्टा केस: धारीवाल पर राजस्थान सरकार का यू-टर्न, पहले दी क्लीन चिट, अब सुप्रीम कोर्ट में बदला स्टैंड

सारांश
जयपुर के करीब 10 साल पुराने एकल पट्टा मामले में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य अधिकारियों पर लगे आरोपों को लेकर भजनलाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख बदल दिया है। पहले क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन अब नए शपथ पत्र में सरकार ने आरोपों की पुष्टि की है।

विस्तार
जयपुर: 10 साल पुराने एकल पट्टा केस में भजनलाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया शपथ पत्र दायर कर पूर्व मंत्री शांति धारीवाल और अन्य अधिकारियों पर लगे आरोपों को सही ठहराया है। करीब 6 महीने पहले सरकार ने सभी को क्लीन चिट दी थी, लेकिन अब सरकार ने एसीबी द्वारा केस वापस लेने के फैसले को सही ठहराने वाले हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की है। अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि अप्रैल 2024 में बिना विधिक सलाह लिए अधिकारियों ने शपथ पत्र पेश किया था, जिसके बाद सरकार ने केस के प्रभारी अधिकारी को बदल दिया है।

गंभीर आरोप
एएजी शर्मा ने बताया कि एसीबी ने धारीवाल और अन्य के पक्ष में 3 क्लोजर रिपोर्ट पेश की थीं, जिनमें से 2 रिपोर्ट कोर्ट ने खारिज कर दीं और तीसरी पर कोई फैसला नहीं हुआ। इसके बाद आरोपी हाईकोर्ट गए, जहां 17 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट ने केस वापस लेने के राज्य सरकार के निर्णय को सही माना। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केस को फिर से ट्रायल कोर्ट भेजने का अनुरोध किया है।

मामले का इतिहास
29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण ने गणपति कंस्ट्रक्शन के शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया था। 2013 में रामशरण सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में इसकी शिकायत की, जिसके बाद पट्टा रद्द कर दिया गया। इस मामले में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी और अन्य की गिरफ्तारी हुई। एसीबी ने धारीवाल से भी पूछताछ की थी। रामशरण सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने केस वापस लेने पर सहमति दी थी।

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