जिले में इस बार किसानों ने उड़द फसल उगाई थी, लेकिन वह पूरी तरह से बिक नहीं पाई है। सोयाबीन की फसल भी सही दाम नहीं मिलने के कारण किसान बेच नहीं पाए। इस वजह से किसान दीपावली पर खरीदारी के लिए भी नहीं निकले। किसानों की दूसरी फसल की तैयारी और खाद की व्यवस्था में भी वक्त लग रहा है। इसके साथ ही महंगा बीज खरीदने के बावजूद सोयाबीन के दाम गिरने से किसानों ने त्योहार के बावजूद अपनी फसल नहीं बेची।
कर्मचारियों के वेतन के चलते सराफा बाजार भी मध्यम रहा। यहां चांदी की खरीदारी ज्यादा हुई, जबकि सोने के खरीदार कम आए। सराफा के विशेषज्ञों के अनुसार, जब किसान बाजार में नहीं आते, तो सोने की बिक्री भी कम होती है।
दीपावली पर कपड़ा बाजार हमेशा जोरदार रहता था, लेकिन इस बार ऑनलाइन शॉपिंग ने इसे प्रभावित किया है। दमोह की कूरियर कंपनियों के अनुसार, नवरात्र से लेकर दीपावली तक सबसे ज्यादा कपड़े ऑनलाइन मंगाए गए। इस वजह से दुकानों पर कपड़ों की बिक्री में कमी आई, हालांकि सामान्य व्यापार चलता रहा।
फाइनेंस पर ऑटोमोबाइल्स का बाजार
दमोह में केवल ऑटोमोबाइल्स, जैसे बाइक और कार, में जीरो प्रतिशत फाइनेंस पर अच्छी बिक्री हुई। कई बाइक कंपनियों ने पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी की है। इस दीपावली हर गली में नई कारों की पूजा की गई। ये वाहन 100 प्रतिशत उधारी पर बिके। इसी तरह नए मॉडल के एलईडी, फ्रिज और वाशिंग मशीन भी फुल फाइनेंस पर बिके, जिससे इस बाजार में थोड़ी रौनक दिखाई दी। नए ब्रांडेड मोबाइलों का बाजार भी इसी फाइनेंस के सहारे बढ़ा है।