बाघों के इस बढ़ते कुनबे के कारण अब यह चिंता बढ़ रही है कि जंगल छोटा पड़ सकता है, क्योंकि बाघ बार-बार बाहर निकलकर अन्य जंगलों की ओर दौड़ रहे हैं। राजगढ़ के जंगल में कई बाघ आ-जा रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र उनके लिए आकर्षक बन गया है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि राजगढ़ के जंगल को सरिस्का टाइगर रिजर्व में शामिल किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो इससे सरिस्का का क्षेत्रफल लगभग 50 वर्ग किलोमीटर बढ़ जाएगा, जहां बाघ अपनी टेरेटरी बना सकेंगे। राजगढ़ जंगल अलवर वन विभाग के अधीन है और इसका क्षेत्रफल 50 वर्ग किलोमीटर से अधिक है।
सरिस्का में 2005 में बाघों की संख्या खत्म हो गई थी, लेकिन 2008 में फिर से बाघों को यहां बसाने की कोशिश की गई। अब वन विभाग ने शिकारियों पर काबू पाया है, और सरिस्का में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ने की संभावना है।