आयुक्त ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को सफाई की नियमित निगरानी करने और फील्ड में हर दिन दो घंटे रहने के लिए कहा था, लेकिन कोई भी अधिकारी फील्ड में नहीं जा रहा है। उन्होंने ऐसे अधिकारियों को नोटिस देने के निर्देश दिए हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था बहुत खराब है, खासकर जब राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण का रैंकिंग तय होना है। नगर निगम हर महीने सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करता है, लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से केवल खानापूर्ति हो रही है। उदाहरण के लिए, एनआईटी चौक से गोल चौक जाने वाली सड़क के पाथवे पर लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद, वहां दिवाली के समय से पड़ा सूखा केला पेड़ अभी तक नहीं हटाया गया है।
नालियां भी कचरे से भरी हुई हैं। हर वार्ड में सफाई का ठेका है, लेकिन झाड़ू और कचरा उठाने का काम केवल कुछ हिस्सों में ही होता है। नगर निगम के मुख्यालय में अपर आयुक्त, उपायुक्त और स्वास्थ्य अधिकारी हैं, जिनकी जिम्मेदारी सफाई व्यवस्था को ठीक रखना है।
आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान कहा कि न तो सफाई की निगरानी हो रही है और न ही विकास कार्यों की। उन्होंने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की और लगातार मॉनिटरिंग करने की सलाह दी, साथ ही लापरवाह अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस देने का निर्देश दिया।